Thursday, 2 June 2016

जल ही जीवन है!

जल वनस्पति एवम् प्राणियों के जीवन का आधार है उसी से हम मनुष्यों, पशुओं एवम् वृक्षों को जीवन मिलता है| यूं तो सम्पूर्ण पृथ्वी में ७५% पानी है किन्तु पीने योग्य जल मात्र १% ही है इसलिए जल का विशेष महत्त्व है| भारत नदियों का देश कहा जाता है| पहले जमाने में, गंगाजल वर्षों तक बोतलो डिब्बों में बन्द रहने पर भी खराब नहीं हुआ करता था| हमें इस जल को स्वच्छ करना है एवं भविष्य में इसे प्रदूषित होने से बचाना है|
जल
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 जल संपदा के मामले में कुछेक संपन्नतम देशों में गिने जाने के बाद भी हमारे यहां जल संकट बढ़ता जा रहा है। आज गांवों की बात तो छोड़िए, बड़े शहर और राज्यों की राजधानियां तक इससे जूझ रही हैं। अब यह संकट केवल गर्मी के दिनों तक सीमित नहीं है। पानी की कमी अब ठंड में भी सिर उठा लेती है। दिसंबर 86 में जोधपुर शहर में रेलगाड़ी से पानी पहुंचाया गया है।

देश की भूमिगत जल संपदा प्रति वर्ष होने वाली वर्षा से दस गुना ज्यादा है। लेकिन सन् 70 से हर वर्ष करीब एक लाख 70 हजार पंप लगते जाने से कई इलाकों में जल स्तर घटता जा रहा है।

तस्वीरों में पानी की बर्बादी के कुछ कारण नीचे दिए गए। 

1.बड़ा नल

2.लीक पाइप।

3.पवित्र नदियों में स्नान

4.जल संसाधनों में प्रदूषण।

5 .जल संसाधनों में मरे हुए जानवर फेंक देते हैं।
    
  • देश में जलप्रबंध की स्थिति का अंदाजा सिर्फ इसी से लग जाएगा कि आज तक ऐसा एक भी विस्तृत सर्वेक्षण नहीं हो सका है कि देश में सचमुच कितना पानी है। ‘केंद्रीय भूजल बोर्ड’ ने हाल में घोषित किया है कि शीघ्र ही पूरे देश के सर्वेक्षण का काम पूरा हो जाने की आशा है। आज जो आसार नजर आ रहे हैं, उन्हें देखते लगता यही है कि उस समय तक तो देश भयंकर सूखे के दौर से जूझ रहा होगा।
  • जल एक ‘पब्लिक प्रॉपर्टी’ है। सरकारें तो अपने स्तर से कार्य कर रही हैं, लेकिन हमें व समाज को भी अपना योगदान देना होगा।   
  • जल की बर्बादी के बारे में लोगों के व्यवहार को मिटाने के लिये इसकी त्वरित जरुरत है।
  • पानी बचाने के लिए टिप्पणी दे।

                       **जल बचाएं जीवन बचाएं।**
कृष खुर्दा और संदीप द्वारा बनाया गया है
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